कोई नहीं करता विकास की बात
कोई नहीं करता विकास की बात


कोई नहीं करता विकास की बात
आरोप प्रत्यारोप लगाते हैं
जुडिशरी और सीबीआई को पालतू तोते बनाते है
धर्म के आड़ में हिंदुओं में भी केटेगरी बनाते है
पौलिसिया बनी बहुत मगर जमीनी विकास कही दिखा नहीं
व्यस्त पड़े है ये राजनीतिक ठेकेदार जननेता को फँसाने में
क्या होगी भारत की छवी आने वाले ज़माने में?
बढ़ती बेरोजगारी बढ़ता आतंकवाद
मायूस पड़ा है हर नौजवान
जब बड़ा भीषण आतंक
तब उठा हर हाथ तलवार
हम युवा है झकझोर देंगे
तुझे उखाड़ कर फेंक देंगे
मत कर घमंड अपनी सियासी ताकत पर
हम तुझे बदल कर रख देंगे
तुम फेंकू हो तो रहो फेंकू
परंतु जनता को मत बनाओ बेवकूफ
कब तक फँसाओगे लोगो को
कब तक बांटोगे समाज को
खुद एक दिन बँट जाओगे
टुकड़ों में अपनी ही गुमान में।