कल रात
कल रात
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हम दोनो की जरूरत थी,
कल रात ....
ये शारीरिक भूख।
तुम दे सकते हो,
इसे प्यार का दूसरा नाम,
शायद ऐसे ये ना हो बदनाम।
इसे हमने-तुमने नहीं बनाया,
पर फिर भी ये तब काम आया,
जब व्याकुल थे दो बदन।
जब रोक पाना था खुद को,
नामुमकिन सा...
तब मिलन हुआ हम दोनो का।
इसे क्यूँ दें फिर व्याभिचार का नाम,
ऐसे तो ये हो जायेगा बदनाम,
ये केवल एक भूख थी।
जो लगी ...
फिर मिटी,
फिर तृप्त हुए दो बदन।
बस फर्क सिर्फ इतना था,
कि ये ज़िसमानी थी,
हाँ ...एक शारीरिक भूख।
