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Hardik Mahajan Hardik

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Hardik Mahajan Hardik

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कितनी बड़ी दिखती होगी

कितनी बड़ी दिखती होगी

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कितनी बड़ी दिखती होगी,

मक्खी को छोटी चीज़ें,

प्याला भर जल अमृत का

पर्वत सी एक कोर रोटी,

खिला फूल गुलदस्ता का,

काँटों का भरा भाला सा,

तालों सा सुराग उसे होगा,

बैरगिया नाला सा,

हरें भरें मैदान कि तरह होगा,

एक पीपल का पात,

वृक्ष के समूह सा होगा,

बचा खुचा थाली का भात,

सांस मनुज आँधियों सी

करती होगी, उसको हैरान...!!

 


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