किसान...... एक जीवन धरा
किसान...... एक जीवन धरा
हाथ की लकीरों से ,
लड़ जाता है
जब बंजर धरती पे,
अपनी मेहनत से,हल से,
लकीरें खींच जाता है।
हाथ की लकीरों से,
लड़ जाता है
कभी स्थितियों से,
कभी परिस्थितियों से,
दो- दो हाथ करता है।
वो पालता है,
पेट सबके,
खुद आधा पेट भर के,
मुनाफाखोरी के आगे,
हाथ -पैर जोड़ता है,
हाथ की लकीरों से,
लड़ जाता है।
जो जीवन को, जीवन देता है
सबको अपनी, मेहनत से,
ऊचाईयां देता है।
उसकी महानता को,
अगर समझे होते
कर्ज में डूबे किसान,
फांसी पर यूं न चढ़े होते।
दीजिए सम्मान,उसे
जिस का हकदार है,
वह धरा पर,
जीवन धरा का प्राण है।
डॉक्टर, इंजीनियर,
बनने से पहले,
जीवन देने वाला है
अमृत सदृश रोटी
हर रोज देने वाला है।
