ख्वाबों की रानी ( भाग - 2)
ख्वाबों की रानी ( भाग - 2)


फिर मिली है आज वो , कहीं अधूरी - सी राह पर
पता नहीं क्यों पर , है थोडा़ कपंन -सा रूह पर।
मुस्करा रही है कम्बख्त वो, मैं गम से परेशान हूँ
बेवफा से वफा की उम्मीद ,लेकर दिल से हैरान हूं।
याद है वो हसीन चेहरा , वो जुल्फों का मजंर भी
बस थी होंठो पर मोहब्बत , दिल में था खजंर भी।
मासूमियत का था दिवाना मैं , वो भी तो शातिर थी
क्या पता था कम्बख्त वो , ईश्क की कातिल भी थी।
डूबा रहता था ख्यालों में , शायद दिल वीरान होगा
मेरी इस मोहब्बत का , हर फिजां मे एलान होगा।
सूखा पडा़ है दिल का मजंर , न कोई आज फरेबी है
खुश हूं कि अमीर दिल में , न कोई आज गरीबी है।
दिल की वफा का एक दिन ,खुद से प्रतिशोध लूंगा।
दिल को दिल के भीतर ही , बुरी तरह से रोंद लूंगा।