STORYMIRROR

वैष्णव चेतन "चिंगारी"

Others

4  

वैष्णव चेतन "चिंगारी"

Others

कहाँ सुरक्षित है बेटियां?

कहाँ सुरक्षित है बेटियां?

1 min
370

गैरों की क्या बात करें ?

अपनों के बीच कहां सुरक्षित हैं बेटियां ?

गांव की पगडंडी हो, 

या.....

फिर शहर का परिवेश,

हर तरफ ही,

शोषण इसका जारी है,

क्यों भूलते हैं.....?

बेटियां दो कुलों की होती है पुल,

फिर क्यों करते हो.....?

बेटा-बेटी में यह भूल,

जब होती है पैदा बेटी तो,

सिर झुक जाता है पिता का,

क्योंकि दहेज की....?

इस तरह फैली है महामारी,


मानते हो गऱ, 

बेटा घर का चिराग है,

तो बेटी को क्यूँ पराये का राग,

मां की कोख से, 

आने देते नहीं बहार,

कोख में ही कर देते हो 

इसका "संहार",

गर घर में,

पैदा हुआ बेटा तो, 

बाप की होती है वाह वाही,

बेटी हुई तो,

मां की है सारी जिम्मेदारी,

बेटों की चाहत में, 

गिर जाते हैं इस कदर लोग,

कई बार करवा देते हैं,

गर्भ में ही "संहार",


कभी-कभी तो गिर जाता है,

पुरुष इतना कि...

पहली बीवी के होते हुए भी,

कर लेता हैं दूसरी शादी,

बेटी पैदा करना,

क्या नारी की ही पीड़ा है?

हम पुरुषों का,

फिर क्या बनता है कर्तव्य ?

सिर्फ नारियों का शोषण करना,


अब भी वक्त है,

"बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ" का यह,

राग सिर्फ तुम न अपनाओ,

यह "नारे" लिखकर दीवारों पर,

रंगों न सिर्फ दीवारों को,

धर्म समाज के "ठेकेदारों"

और......

समस्त "पुरुष" जाती की भी बनती हैं,

यह जिम्मेदारी भी तुम्हारी,

एक दिन खत्म हो जाएगी,

बेटियां जब सारी,

तो मिट जाएगी,

यह "सृष्टि" सारी,

बेटियां हैं तो,

"सृष्टि-सारी" हैं,

यह जिम्मेदारी है-हम सब की सारी!!

        


Rate this content
Log in