कौन नहीं पीता
कौन नहीं पीता
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कोई लिये हाथों
में है शराब।
कोई कूल कोई
कहता ख़राब।।
किसी के हाथ
चाय की प्याली।
कोई घुट से पीता
किसी की गाली।।
कोई पान-ज़र्दे
का पुराना आशिक़
कोई पीता ख़र्चता
पूरा मासिक।।
यहाँ बंद है पड़ी
हर मधुशाला।।
फिर भी छलक
जाती ही है हाला।।
कोई पीता गम को
पीड़ा को नित
बताओ मित्र क्या
नशा नहीं जीत।।
पीते कई गुस्से को
मुँह भींच,ओठ बंद
क्या अब भी कहोगे
दे पीने वाले को दंड।।