कैसे सुफल पाएंगे आप -ग़ज़ल
कैसे सुफल पाएंगे आप -ग़ज़ल


हक़ किसी का छीनकर, कैसे सुफल पाएँगे आप?
बीज जैसे बो रहे, वैसी फसल पाएँगे आप।
यूँ अगर जलते रहे, कालिख भरे मन के दिये
बंधुवर! सच मानिए, निज अंध कल पाएँगे आप।
भूलकर अमृत वचन, यदि विष उगलते ही रहे
फिर निगलने के लिए, भी घट-गरल पाएँगे आप।
निर्बलों की नाव यदि, मझधार मोड़ी आपने
दैव्य के इंसाफ से, बचकर न चल पाएँगे आप।
प्यार देकर प्यार से, आनंद पल-पल बाँटिए
मित्र! तय है तृप्त मन, आनंद-पल पाएँगे आप।
शुद्ध भावों से रचें, कोमल गज़ल के काफिये
क्षुब्ध मन के पंक में, खिलते कमल पाएँगे आप।
याद हो वेदों की भाषा, मान संस्कृति का भी हो
कल्पना! सम्मान का, विस्तृत पटल पाएँगे आप।