कैसा हुआ मानव ?
कैसा हुआ मानव ?
साँपों की जमात ने काटना छोड़ा अब मानव ही काटने लगा है।
कुत्ते हो गए खाली तलवे अब मानव ही चाटने लगा है।।
चमक चमचों की हो गई है फीकी अब तो यारों।
सबसे बड़ा चमचा तो अब मानव ही लगने लगा है।।
खरबूजे हो गए फीके अब तो रंग बदलने में यारों।
सारे जहाँ के रंग अब मानव ही बांटने लगा है।।
यूं तो बातों में ही कह देते हैं वो दिल की बात यारों।
सारे जहाँ के दिलों को ठोकर मानव ही मारने लगा है।।
बातों में ला पाते नहीं अब वो दिल के जज्बात यारों।
बातों बातों में ही घायल अब जज्बात मानव ही पाड़ने लगा है।।
