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Sarvesh Saxena

Children Stories

3  

Sarvesh Saxena

Children Stories

कांटे और फूल

कांटे और फूल

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फूल मुस्कुराता हुआ , महकता हुआ ...


काँटा फूलों के साथ रहकर भी चुभता हुआ ..


फूल हर किसी को भाये ...


काँटा कोई न उठाये ...


उसने भी अजीब किस्मत लिखी दोनों की ...


मिलना भी इनका तय, बिछुड़ना भी तय ...

जब अलग ही करना था तो क्यूँ इनको संग बनाया ....


फूलों के बीच कांटे, कांटो के बीच फूल खिलाया ...


फूल टूट के भी मुस्कुराया ....


काँटों ने खुद को चुभाया ....


मै हैरान रह जाता हूँ ये सोचकर ....


फूल नाजुक, कोमल, फिर भी हँसता हुआ .....


काँटा सख्त धारदार फिर भी उदास रोता हुआ ....


महसूस करता हूँ मै भी कभी उस जैसा हो जाऊँ ...


वो फूल मै काँटा हूँ .... पर मै भी फूल हो जाऊँ ....


उस जैसा होकर उसमे हो जाऊँ ....


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