कान्हा
कान्हा
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कान्हा
जिसे न कोई जाना
जिसका न हुआ कोई
वो हो गया सभी का ...।
मां से जुदा , पिता से जुदा
जुदा अपने सखा से भी
जग में एक "राधा" मिली
बिछड़ना पड़ा उनसे भी ।
कान्हा
जिसे न कोई जाना
देखा नहीं कोई मन की पीड़ा
देखी सबने लब की मुस्कान ।
खोया है सब कुछ जो अपना
कान्हा
कान्हा ...
जिसे न कोई जाना ।
जिसका न हुआ कोई
वो हो गया सभी का ।
बुझाई सबकी मन की प्यास
जो रहा सदियों से खुद प्यासा ।
कान्हा
जिसे न कोई जाना
जिसका न हुआ कोई
वो हो गया सभी का ।
