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दिनेश कुमार कीर

Children Stories Inspirational

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दिनेश कुमार कीर

Children Stories Inspirational

जंजीर...

जंजीर...

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किसी को पता ही नहीं जाना कहां है और कहां जा रहे हैं... "धरमा"


इतनी भीड़ है शहर में खो जाने का डर लगा रहता है

इसलिए तो मैंने जंजीर बांध ली खुद को बेटे के साथ


क्या करते हैं दोनों में एक भी खो जाता तो जिंदगी

अधूरी रह जाती है एक दूसरे के बिना दोनों की


वह मुझे तलाशता रहता कहीं मैं भी उसे तलाशती

दोनों ही तलाशते बस जिंदगी तलाशने में गुजर जाती 


या खुदा एक ही सहारा है मेरा उसका भी सिर्फ मैं

बहुत बड़ा परिवार होता तो ना बांधते जंजीरों से


चारों तरफ भीड़ ही भीड़ पता नहीं लोग कहां भागे जा रहे हैं...

किसी को पता ही नहीं जाना कहां है और कहां जा रहे हैं...


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