“ ज़िन्दगी "
“ ज़िन्दगी "
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पाने को कुछ नहीं ,
ले जाने को कुछ नहीं ;
उड़ जाएंगे एक दिन ...
तस्वीर से रंगों की तरह !
हम वक्त की टहनी पर ...
बैठे हैं परिंदों की तरह !
खटखटाते रहिए दरवाजा ...
एक दूसरे के मन का
मुलाकातें ना सही ,
आहटें आती रहनी चाहिए
ना राज़ है ... “ ज़िन्दगी "
ना नाराज़ है ... “ ज़िन्दगी "
बस जो है वो आज है ....
" जिन्दगी "
