STORYMIRROR

Deepak Kumar jha

Others

3  

Deepak Kumar jha

Others

“ ज़िन्दगी "

“ ज़िन्दगी "

1 min
167

पाने को कुछ नहीं , 

ले जाने को कुछ नहीं ; 

उड़ जाएंगे एक दिन ... 

तस्वीर से रंगों की तरह ! 

हम वक्त की टहनी पर ... 

बैठे हैं परिंदों की तरह !

खटखटाते रहिए दरवाजा ...

एक दूसरे के मन का 

मुलाकातें ना सही , 

आहटें आती रहनी चाहिए 

ना राज़ है ... “ ज़िन्दगी " 

ना नाराज़ है ... “ ज़िन्दगी "

बस जो है वो आज है ....

" जिन्दगी "


Rate this content
Log in