जिंदगी के खेल में
जिंदगी के खेल में

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भरे हुए थे स्टेडियम में
दर्शक खचाखच
मार रहे थे बैट्समैन
छक्के भचाभच
हो रहा था मैच
दो टीमों में जोरदार
कभी बालर चटकाये विकेट तो
कभी बैट्समैन का होवे प्रहार
कहे पवन कविराय
लाइफ के स्टेडियम में
चाहे सुख के छक्के पड़ें
या दुख के बाउंसर
मस्ती में सदा रहें हम
लगे ना खेल से डर।