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Mrs. Mangla Borkar

Others

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Mrs. Mangla Borkar

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जीवन साथी

जीवन साथी

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दो अनजाने मिलते हैं, संग-संग मिलकर चलते हैं 

सुख-दुःख के साथी हैं दोनों, गिरते और संभलते हैं।। 


पति का नाम भरोसा है, पत्नी का नाम समर्पण 

पति-पत्नी एक दूजे पर कर देते हैं सब अर्पण।। 


पति के उदास होते ही पत्नी के आँसू निकलते हैं 

सुख-दुःख के साथी हैं दोनों, गिरते और संभलते हैं।। 


नोक-झोंक भी इस रिश्ते की एक निशानी होती है 

रूठने और मनाने से मशहूर कहानी होती है।। 


जीवन रूपी गाड़ी के दो पहिये कभी ना बदलते हैं 

सुख-दुःख के साथी हैं दोनों, गिरते और संभलते हैं।। 


'हम दो-हमारे दो' की घड़ी सुहानी आती है 

पुत्र पिता का, पुत्री माँ का बचपन फिर से लाती है।। 


सोलह संस्कारों में 'विवाह' को सब शास्त्र श्रेष्ठ समझते हैं 

सुख-दुःख के साथी हैं दोनों, गिरते और संभलते हैं।। 


शादी का लड्डू वास्तव में अपना असर दिखाता है 

खानेवाला पछताता है और न खानेवाला ललचाता है।। 


खाकर पछताने में ही फ़ायदा है, बड़े-बुज़ुर्ग यह कहते हैं 

सुख-दुःख के साथी हैं दोनों, गिरते और संभलते हैं।। 


विवाह किया है तो विश्वास करना अपने जीवनसाथी पर 

कान देखना, कौआ नहीं, बात-बात पर मत जाना लड़।। 


महल हो या जंगल 'सियारामजी' मिलकर रहते हैं 

सुख-दुःख के साथी हैं दोनों, गिरते और संभलते हैं।। 


दो अनजाने मिलते हैं, संग-संग मिलकर चलते हैं 

सुख-दुःख के साथी हैं दोनों, गिरते और संभलते हैं।। 


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