जीवन एक पहेली
जीवन एक पहेली
जीवन एक पहेली है इसे जितना सुलझाओ
उतनी ही ये उलझती जाती है ,
ख्वाहिशों के पर जो तुम लगाओगे
बिन मेहनत कहां से फल पाओगे..।
आज ना यह कल आएगा फिर से यह पल ना दोहराएगा जो करना है इस पल कर डाल कल पर छोड़कर तू पछता भी न पाएगा..।
बड़ों का मान सम्मान भूल बैठे हैं अपनों का लिहाज भूल बैठे हैं इंसानियत शर्मसार हो रही है आजादी के नाम पर मां-बाप की दखलंदाजी बर्दाश्त नहीं हो रही है ..।
भूल जाओ सारे गम दर्द को करो कम कौन क्या कहता है कहने दो अपनी राह तुम खुद ही चुन लो..।
यह जिंदगी उलझी है ऐसे मकड़ी के जाले हो जैसे
थोड़ा धीरज रखो थोड़ा प्यार से सुलझाओ
अपने पराए का भेद मिटाओ..।
अपनी अपनी जिमेदारियों को बखूबी निभाओ
जो तुम्हारा हाथ में है वो करते जाओ..।
रिश्ते नाते कहने को हैं कितने सारे
वक्त पर कोई काम न आते
बड़े अकड़ में रहते छोटे झुकना न चाहें..।
रिश्तों में रसा कसी की होड़ लगी
हर किसी को चोट लगी
मरहम लगाए कौन यहाँ ,
तुम्हीं बताओ फिर कैसे ये जिंदगी सुलझाया जाए..!