झील सी आंखें
झील सी आंखें
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झील सी गहरी आंखों में एक समंदर दिखता होगा।
इकरार -ओ-इंकार कश्मकश में वह तो रहता होगा।
खामोशी से आंखो से कुछ शब्द चुरा कर
एक कहानी प्यार भरी लिखता होगा।
दूर तक आंखों में आंखों को बसा कर
कोई ग़ज़ल वह मन ही मन सुनता होगा।
तेरे खातिर उन आंखों से चुपके -चुपके
राहों से वह खार कई चुनता होगा।
चांदनी रात सितारे भी हो और जुगनुओं से
मीठी -मीठी बातें कुछ करता होगा।
झील सी गहरी आंखों में एक समंदर दिखता होगा।
इकरार-ओ- इंकार कश्मकश में वह तो जगता होगा।