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SUBIR KUMAR PATI

Others

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SUBIR KUMAR PATI

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जगत के नाथ जगन्नाथ

जगत के नाथ जगन्नाथ

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रूप उसका है सबसे निराला,

आपरम्पार है उसकी हर एक लीला।

कहीं ना होके भी वह हर जगह है होता,

आकार होके भी वह निराकार है होता।

हाथ ना होके भी वह सबसे बलवान है होता,

बिन पैर के भी वह पूरा संसार है चलाता।

जिसकी आँखो में पूरा जग है बसता,

जिसकी एक झलक से हर पाप है धुलता।

वही तो भक्तों का भगवान है कहलाता,

संसार उसे जगत के नाथ जगन्नाथ है बुलाता।



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