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Shyam C Tudu

Others

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Shyam C Tudu

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जब नदी गाती है

जब नदी गाती है

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जब नदी गाती है

कल-कल, कल-कल

पानी से सटे पौधे हिलते हैं

पत्थर पर पानी ठोकरें खाकर

बजते हैं

नगाड़े की तरह

ऐसा लगता है, मानो

नृत्य, गीत

और

संगीत की जुगलबंदी में

मेला लगा है।


प्रकृति की इस खुशी में

मेरी दादी

शामिल होती है हमेशा

खुद भी गुनगुनाती है

नाचती भी है

मानो बुढ़ापे की

जश्न मना रही हो।


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