जब जब पुरवाई आती है
जब जब पुरवाई आती है
1 min
162
फिल्म - (पूरब पश्चिम)
धून - है प्रीत जहाँ की रित सदा मैं गीत वहाँ के गाता हूँ।
जब जब पुरवाई आती है , तो याद वहां की आती है
जहाँ भोर सुनहरी होती है और शाम सिंदूरी होती है
सातों समुंदर पार से जब चिट्ठी कोई आती है
माथे से लगा लूं मैं उसको भारत की मिट्टी आई है
कैसे भुलाऊँ मैं उसको जो दिल में समाई होती है
जहाँ भोर सुनहरी होती है और शाम सिंदूरी होती है
