जाने कितनी लोरियाँ
जाने कितनी लोरियाँ
एक शब्द में छिपी हैं,
कितनी सारी खुशियाँ,
कितनी ममता, कितना प्यार ,
जाने कितनी लोरियाँ।
रोते, बिलखते आते हैं,
आँचल में समा लेती है,
भूखे प्यासे आते हैं,
प्यार से खिलाती है।
जब गलत काम करे,
जोर से डाँटती है।
जब नाम रौशन करें,
अपने गले लगाती है।
पता नहीं क्या क्या,
सुनाती है कहानियां।
कितनी ममता, कितना प्यार,
जाने कीतनी लोरियाँ।
रात भर जाग कर,
हमें वो सुलाती है।
हम पर आँच न आए,
वो खुद दुख झेल जाती है।
अंदर ही अंदर रोकर,
सामने मुस्कुराती है।
कितना सहारा मिलता है,
जब बाँटती है तन्हाईयाँ।
कितनी ममाता, कितना प्यार,
जाने कितनी लोरियाँ।
कभी कभी हमारे साथ,
वो भी बच्चा बन जाती है।
हमारे साथ मिल जुल कर,
वो भी नाचती गाती है।
हर सुख दुख साथ में,
मिलजुल कर बाँटती है।
होली, दिवाली हंसी खुशी से,
नाचती गाती मनाती है।
कितना मज़ा आता है,
जब बनती हैं मिठाइयां।
कितनी ममाता, कितना प्यार,
जाने कितनी लोरियाँ।
