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Ranjana Mathur

Others

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Ranjana Mathur

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इतनी श्रद्धा क्यों

इतनी श्रद्धा क्यों

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जीते जी यदि रखते होते

माता-पिता में श्रद्धा तुम,

तो न दिखाई देते होते

जगह-जगह पर वृद्धाश्रम।


बाद मृत्यु के जागी आस्था

कर रहे तर्पण कर रहे श्राद्ध,

जिन्दा जिनकी सुध न ली कभी

अब क्यों आई उनकी याद ?


डरते हो क्या यही सोच कर

इक दिन अपने साथ यही होगा,

जैसी करनी वैसी भरनी है भाई,

जैसा किया फल भी वही भोगा।


करें न झूठा आडंबर व दिखावा

यही है मेरा इक छोटा अनुरोध,

जो करते स्नेह व सम्मान उनका

उन्हें ही है श्राद्ध का कर्त्तव्य बोध। 


 


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