Vijay Kumar parashar "साखी"
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इतना ग़म
इतना सितम
सहा नहीं जाएगा,
पलको के आंसू से
रहा नहीं जाएगा,
बस कर अब तू साकी़,
नहीं तो ख़ुदा के भी
हमारे इस दर्द से,
आंसू छलक आयेगा।
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