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Rajkumar Kumbhaj

Others

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Rajkumar Kumbhaj

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इस वीराने में

इस वीराने में

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इस वीराने में वीरान-सी वीरानी है कोई 

और ब्रह्मांड भर में ब्रह्मांड तक की

सनसनी से भी बड़ी कोई सनसनी 

पसर गई है

शिशुओं के शव हैं झूला झूलते हुए 

स्त्रियों से बलात्कार का उत्सव है 

पौरूष की नपुंसकता है, ज१न भी 

और वे चार जने अभागे 

जो निकले हैं रोटी की तलाश में 

तलाश में ही पाए गए मिट्टी का ढेर

मगर मिट्टी के ढेर से ही पैदा होती है 

फसलें और चिंगारियाँ 

ये तो बड़ा ही अजब-गज़ब तमाशा है

कि फसलें और चिंगारियाँ

इस वीरान में!

इसी एक वीराने में रहता था कहीं

कोई एक कवि

जो मरीज़ नहीं था मधुमेह का

किंतु पर्याप्त परहेज़ पर ही रहता था 

शकरकंद खाने से

इस वीराने में

 

 


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