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इस संसार में

इस संसार में

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इस संसार में

अगर जो कोई क्रूरता नहीं करता

तो ज़ाहिर है कि तब

कविता की कोमलकांत पदावली भी नहीं होती

क्रूरता ने ही जन्म दिया कविता को

किन्तु कविता से ही हारती है क्रूरता

इस संसार में 


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