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Alok Mishra

Others

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Alok Mishra

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इंसान

इंसान

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पेड़ों को काटा और कागज बनाया

लिखा उस पर पेड़ बचाओ का

क्रांतिकारी नारा

पर फूटी नईं कोपलों से ही

बदला सभ्यता का रंग


भ्रूण को पहचाना फिर पेट से निकाला 

रोप दिया जमीन में 

और किया बेटी बचाओ का उद्घोष

सिर्फ इस झूठे आश्वासन से

उग आईं फिर भी कुछ बेटियाँ 


बजबजाते नाले ठूँस दिए

नदी की निर्मल कोख में 

और कह नमामि देवी धो लिए पाप

पर नदी ठहरी नहीं 

ढोती रही खुद को अनवरत 

 

वसुधैव कुटुंबकम् की नाक के नीचे 

संधाड़ मारते संस्कृति के वाहक

घोषित करके बैठे थे

खुद को ही देवता

पर बुद्ध कबीर अंबेडकर जैसों ने

खोल दी इसकी पोल


इसी तरह बचा रहा है इंसान 

अब तक अक्षुण्ण।


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