हत्यारे
हत्यारे
सरहदों में बंटे,
कितनों के लहू बहे,
उन बेगुनाहों के हत्यारे कौन?
बंद पड़ी फाईल में,
कानून ने जब न की सुनवाई
बेगुनाही की सच्चाई,
जब खरीद न पाई कोई गवाही,
जीते जी मरे जो लोग
उन बेगुनाहों के हत्यारे कौन?
देवी रूप नारी तो पूजा
औरत को खिलौना ही सोचा,
बलात्कार जब बच्चियों का होता,
उन मासूमों के हत्यारे कौन?
वो सब लोग हत्यारे हैं
जो चुपचाप देखते रहते हैं,
अन्याय के खिलाफ ,
आवाज़ नही उठाते हैं,
और अन्याय सहते जाते हैं
सिर्फ अपना आप बचाते हैं।
एक परिवार, एक समाज,
एक सभ्यता के
हत्यारे बन जाते हैं,क्योंकि
यह अन्याय देखते रहते हैं
और आवाज़ नही उठाते हैं।