हस्त आमलक वत उसे
हस्त आमलक वत उसे
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हस्त आमलक वत उसे, स्वर्ग और अपवर्ग .
राष्ट्र यज्ञ में जो करे, प्राणों का उत्सर्ग ..
हस्त आमलक वत उसे, स्वर्ग और अपवर्ग .
राष्ट्र यज्ञ में जो करे, प्राणों का उत्सर्ग ..