अच्युतं केशवं
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हस्त आमलक वत उसे, स्वर्ग और अपवर्ग .
राष्ट्र यज्ञ में जो करे, प्राणों का उत्सर्ग ..
मन आस तारा
सहज तुमने अपन...
कल लुटेरे थे ...
धूम्रपान कर ब...
छिपा हृदय निज...
उर सहयोगी भाव
भट्टी सी धरती...
अलग हो रूप रं...
आला वाले डॉक्...
भारोत्तोलन खे...