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सतविन्द्र कुमार राणा 'बाल'

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सतविन्द्र कुमार राणा 'बाल'

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हरियाणवी तीर (कुण्डलिया छन्द)

हरियाणवी तीर (कुण्डलिया छन्द)

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बढ़णा के-के चाहिए, इस पै करो विचार

तनखा, लेबर, ज्ञान भी, सुण ल्यो रै सरकार!

सुण ल्यो रै सरकार, बढै न दाम अर मंदी

संस्था की गर फीस, बढै हो करणी गन्दी

सतविंदर अधिकार, गरीबां का भी पढ़णा

कटै न उनकी बेल, चाह री सै जो बढ़णा।


बढती फीसें जा रही, घटती शिक्षा रोज

मुश्किल या हल चाहती, कर ल्याओ रै खोज

कर ल्याओ रै खोज, दायरा और न बढ़ ज्या

प्रतिभा खर्चा झेल, न पावै बाहर कढ़ ज्या

सतविंदर सरकार, मिलै हक घल ज्या घी सें

अड़चन रही कसूत, जाण ल्यो बढ़ती फीसें।




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