हर ताप निवारो विश्व का
हर ताप निवारो विश्व का
जगदंम्बा की जगत पर,
कृपा बनी रहे अपार ।
हंसी खुशी सब लोग रहें,
भुवन में बरसे अमृत धार।
भुवन में बरसे अमृत धार,
हार गले में हो जय का ।
हे जग जननी मां शारदा,
दो बरदान अभय का ।
हो कल्याण देश का सब,
न हो डर किसी प्रलय का।
डंका बजे बिश्व में अपना,
हो जयघोष हरी बिजय का।।
हर ताप निवारो विश्व का,
बिपदा उस पर आन पड़ी।
हे सिंह वाहिनी मां दुर्गे,
तुम ले कटार हो जाओ खड़ी।
तुम ले कटार हो जाओ खड़ी,
करो दुष्ट से दो दो हाथ।
द्वन्द युद्ध करके उससे,
कर दो उसका सत्यानाश ।
धूप दीप नैवेद्य सजाकर ,
कर रहा मां हरी अरदास।
मां बिंध्यवासिनी, कल्याणी,
निरोग करो धरती आकाश।।
