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हर कली...
हर कली सहमी हुई है।
अच्युतं केशवं
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Originality :
1.0★
by 1 user
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Language :
1.0★
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Cover design :
1.0★
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अच्युतं केशवं
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हर कली सहमी हुई है।
हर कली सहमी हुई है।
हर कली सहमी हुई है,
सब भ्रमर आक्रांत से।
क्यों कटा ले शीश
चलता, काम जब के
शांत से।
मत दिखाना वीरता रे,
मत निकलना गृह से,
मित्रवर एकांत बेहतर,
है बहुत देहांत से।
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