हमउम्र
हमउम्र
काम कोई खास नहीं है
बस सिर्फ उम्र ही बितानी है।
लोग भी कोई पास नहीं है
बस उम्र यूं ही बितानी है।
बड़ों ने दुनिया छोड़ दी
तो छोटों ने छोड़ दिया घर।
अनुभव की गठरी पूरी भरी है
समझ नहीं आ रहा यह गठरी किसको संभलवानी है।
भूतकाल की बातों से भरा हुआ है पूरा तन मन।
समझ नहीं आता यह बातें किसको सुनानी है।
नींद अब आती नहीं, डर कोई लगता नहीं।
काम कोई छूटा नहीं, मन बहलाने को भी सब कुछ है
बस कोई ऐसा मिलता नहीं जिसे की अपनी खुशियां दिखानी है।
करके नए जमाने की तकनीकों का इस्तेमाल
एक कविता के रूप में आपबीती ही तो है, जो आप सबको सुनानी है।
अगर मिले कोई हम जैसे और
तो भेज देना जरूर इस और।
अपने हमउम्रों को इकट्ठा करके
हमने भी तो आखिर चौकड़ी ही जमानी है।