हमको है मंजूर
हमको है मंजूर
1 min
150
हमको है मंजूर अपना जिगर का लहू बांटना
हम हैं रतजगे के आदी हम कैसे तेरा बिस्तर बांटें
मेरी जां बांटनी ही है तो मेरी जां बांटिए
हम कैसे अपनी आग बांटें
किसी को कुछ ना देने वाला हूं फकीर मैं तो
एक तू है कहने को मेरा फिर हम कैसे तेरी रात बांटें
और भी तो मयखाने हैं शहर में तेरे सिवा
जो मेरा है वो मेरा है हम कैसे तेरे लबों की शराब बांटें
मारना ही है तो फिर ले आओ कभी हाथों में तेग अपनी
यूं हर रोज टुकड़ों में अपनी कैसे जां बांटें