हमेशा की तरह आज की तरह
हमेशा की तरह आज की तरह
तुम्हारा प्यार आया जीवन में कुछ यूँ
कि जैसे पहाड़ी चश्मा
सराबोर कर गया
मीठे पानी से जो मुग्ध कर गया कुछ यूँ
कि कितनी ही उम्र
कि कितनी ही जिंदगियाँ बीतती गईं
हम बदलते रहे देह का चोला
पर चश्मे की ठंडक और माधुर्य है बरक़रार
वैसे का वैसा ही आज भी प्रियतम और प्यार
तुम्हारे प्यार ने संवारा निखारा
उजागर कि खूबियाँ मेरी
हमेशा नेपथ्य में रह कर
आज सोचती हूँ तो पाती हूँ
कितना कठिन है तुम-सा होना
तुम-सा रह पाना
वाक़ई लाजवाब हो तुम
हमेशा ऐसे ही रहो जैसे हो आज
भीतर से भी और बाहर से भी
निर्मल सरल खुश रहने और खुश रखने वाले
हरदम मुस्कुराते रहना यूँ ही सदाबहार
अपने आलोक से पूर देना सबको
हमेशा की तरह आज की तरह