हम जागते है
हम जागते है
जब यह सारा ही ज़माना सो जाता है तब हम जागते हैं
जब हमारा ये दिल तन्हा हो जाता है तब हम जागते हैं,
इस फ़लक के सारे सितारे,वो भी इस बात के गवाह हैं,
जब साखी को उनकी याद सताती हैं तब हम जागते हैं,
शीशे में देखने पर कुछ समय बाद अक्स टूट ही जाता है
शीशे की हमसे जब दोस्ती हो जाती है तब हम जागते हैं,
रात जैसे जैसे होती हैं अंधेरी,दिल में टीस होती है गहरी
जब बुझ जाते हैं,ज़माने के सब चराग़ तब हम जागते हैं,
कोई साखी को इश्क़ का मारा कहता है कोई पागल आवारा
जब इस दिमाग के ही तार टूट जाते हैं तब हम जागते हैं,
उनकी याद दिल को कहती है,तू भी कर रब से फ़रियाद
जब ख़ुदा की जगह वो याद आते हैं तब हम जागते हैं।