हिंदुस्तान की बात
हिंदुस्तान की बात
मैं बात कर रहा हूं हिंदुस्तान की
इस माटी के अमर बलिदान की
शीश कटे तो भी जहां पर धड़ लड़े
मैं बात कर रहा हूं कल्ला राठौड़ की
शीश की दे निशानी रण में भेजे
मैं बात कर रहा हूं, हाडिरानी की
मैं बात कर रहा हूं, हिंदुस्तान की
अंधे होकर भी निशाना साध लिया
शत्रु गौरी को उसी के देश में मार दिया
मैं बात कर रहा हूं, पृथ्वीराज चौहान की
आज़ादी के लिये महलों को छोड़ दिया
जंगलों में रहक़र जिसने युद्ध किया
मैं बात कर रहा हूं,
घास की रोटी खानेवाले
महाराणा प्रताप की
मैं बात कर रहा हूं, हिंदुस्तान की
जिसके आगे मुगलों ने टेका माथा,
मैं बात कर रहा हूं, शिवा सरदार की
मुगलों की 10 लाख की सेना
जिसके 40 शेरो के आगे थी हारी
मैं बात कर रहा हूं, गुरु गोविंदसिंह की
इनके अबोध बच्चे
जोरावर, फ़तेसिंह के बलिदान की
मैं बात कर रहा हूं हिंदुस्तान की
शत्रु भी जिनकी तारीफ़े करते थे
अंग्रेज जिनके आगे पानी भरते थे
मैं बात कर रहा हूं, रानी लक्ष्मीबाई की
ऐसे लाखों वीर इस वसुंधरा में दिए है
मैं बात कर रहा हूं,वीरों के खान की
मैं बात कर रहा हूं हिंदुस्तान की
दुष्टों को पहले बहुत माफी दी थी
हिंदुस्तान ने
पहले जयचंदो को सज़ा कम दी थी
हिंदुस्तान ने
अब हिंदुस्तान बदल चुका है
दुष्टों व जयचंदों को देते है सज़ा
अब खाकर कसम हम हिन्दुस्तान की
मैं बात कर रहा हूं नये हिंदुस्तान की
