हिन्दी गजल- बंजर भूमि की रोटी
हिन्दी गजल- बंजर भूमि की रोटी
बहारों के मौसम गुल खिल जाये दिखाना मुझे।
बागो फूल भवरा गर मिल जाये दिखाना मुझे।
जहर भर दिया फिज़ाओ मिल हमने और तुमने।
मिट्टी बीज अंकुर गर निकल आए दिखाना मुझे।
गोबर खाद मिल मिट्टी पैदावार बढ़ाती थी कभी।
यूरिया फास्फेट जमी खिल जाये दिखाना मुझे।
गाय बैल और जानवर अब कोई पालता ही नहीं।
ट्रेकटर मशीन खेती गर बढ़ जाये दिखाना मुझे।
तालाब कुआ पोखर युही नहीं खोदवाते थे लोग।
बिना इनके जमी पानी मिल जाये दिखाना मुझे।
जमी की नमी जरूरी है खेती किसानी के लिए।
बिना पानी खेत बीज उगने लगे दिखाना मुझे।
खाद रासायन जितना मिलाओगे जहर खाओगे।
सब्जी बुझी जहर खा कोई हँसता मिले दिखाना मुझे।
हमारी लापरवाही मिट्टी की जान जा रही अब।
बंजर भूमि की रोटी कोई खाता मिले दिखाना मुझे।
