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राजकुमार कांदु

Children Stories

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राजकुमार कांदु

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हे चाँद बताओ.... !

हे चाँद बताओ.... !

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"ऐ चाँद बताओ कभी कभी, क्यूँ देर से आते हो?

देर से आकर भी क्यूँ , बादल में छिप जाते हो ?


रिश्ता क्या धरती संग है, क्यूँ तुम मुस्काते हो?

अँधेरा हो जब, जग को रोशन कर जाते हो !"


सुनकर के यह बात चाँद ने, अपना है मुँह खोला

बादल के झुरमुट से निकला, मुस्का कर यूँ बोला


” धरती सबकी मैया तो हूँ, मैं उसका मुंहबोला भाई

स्नेह प्रेम से बंधा घूमता, जगभर राखी बांध कलाई


संकट में जब हो बहना, मैं तब तब आता हूँ

इसीलिए तुम सब का मैं , मामा कहलाता हूँ !”




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