हाथी का बच्चा हूँ
हाथी का बच्चा हूँ
हाथी का बच्चा हूँ, है तू माँ मेरी
कैसे भुलूँ मुझ पे है रहमत तेरी।
बोल नहीं पाता हूँ पर मैं बोलूंगा
मन के भावों की गठरी में खोलूंगा।
डेढ़ साल से अधिक पेट में पाला है
खुद दुःख में रहकर के मुझे संभाला है।
जान हथेली पर रख पैदा किया मुझे
भू पर लाकर के भू का सुख दिया मुझे।
पालपोस कर बड़ा किया एहसान किया
अपने सुख से ज्यादा मेरा ध्यान किया।
जब जब चोट लगी मुझको तू रोती थी
विचलित मुझको देख बड़ी तू होती थी।
स
भी झूंड के साथी शोक मनाते थे
ढाढस देते मुझको नहीं अघाते थे।
जानवरों में अपनापन भी होता है
तब जाना था के दिल सबका रोता है।
जल में उतर नहाना मुझको भाता था
जबतक नहीं नहाता चैन न पाता था।
रहना साफ सिखाया है आभारी हूँ
सीख गया मैं सारी दुनियादारी हूँ।
होते ही से बड़ा मुझे तो जाना है
नर हूँ मुझको दुनिया अलग बसाना है।
उम्र हो गई पन्द्रह की मजबूरी है
तन की दूरी भी क्या मन की दूरी है।
जब मैं जाऊं ऐ माँते तू मत रोना
कर लेना संतोष यही तो था होना।
लेकिन याद करेगी जब भी आऊंगा
"अनंत" बेटे का हर फर्ज निभाउंगा।