हाथ की रेखाएं
हाथ की रेखाएं
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मित्रता है अनमोल ये सारा जग माने
मित्र ही मित्र के हृदय की बात जाने!
मित्र के खोने का डर उसे सताता है
दोस्ती का जो न सही फ़लसफ़ा जाने!
कश्ती साहिल पे अकसर डूब जाती है
काम आयेगी कब अपनों की दुआ जाने!
आँखों से ओझल ना हुआ कर ए दोस्त
कि फकत मेरा दिल ही तेरा पता जाने!
तेरे बिन तो बस लगती है ज़िन्दगानी यूँ
कितनी लम्बी है ये सज़ा बस खुदा जाने!
रूठ जाए जो मेरा मित्र तो मना लेंगे हम
बेशक हम न कुछ भी उसके सिवा जाने!