STORYMIRROR

"हारना दुःख का"

"हारना दुःख का"

1 min
13.2K


दुःख तपाता था

तपाता जाता था

अपने चरम बिंदु तक

जताता था कि

अब गया,अब गया

बैठ जाता था

छुप के कहीं

अँधेरे कोने में मन के

कुंडली मार के बैठा दुःख

मुस्कुराता मुझे देख देख के

मैं चिढ़ा,रोया

यहाँ तक कि चिल्लाया भी

पर न पसीजना था दुःख को

न पसीजा वो

और फिर एक दिन

हरा ही दिया दुःख को मैंने

उसके साथ ही

सीख गया,खुश रहना

 


Rate this content
Log in