हालातों से ना डर
हालातों से ना डर
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हालातों से ना डर ऐ दुनिया के मुसाफिर
मंजिल तेरी मिलेगी तूफानों से टकराकर।
हकीकत बयां जब होगी वो भी जानेगा एक दिन
भागकर खुद आयेगा वो दुनिया को आजमाकर।
फसाने कभी कम ना होंगे जुदा होकर भी हम जुदा ना होंगे
कश्ती लगेगी किनारे यकीनन बस लहरों से टकराकर।
सारा जहां तेरी गिरफ्त में होगा पर शायद हम तेरे ख्वाबो में होंगे
तुम आ जाओ अब जल्दी से वरना तेरे बिना हम ना होंगे।
इंतजार अब होता ही नहीं फिर क्यूँ आजमाते हो मेरी जान लेकर।