shekhar kharadi
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आज बापू तुम कहाँ बसे हो
वतन तुम्हें पुकार रहा है
हालात फिर से दर्द गीत गाते है
सच्ची बातें ताबीर में कैद है
हे..महात्मा लौट आओ
राष्ट्र हित के लिए
नव भारत के निर्माण के लिए
बेजान मुर्दा में जान फूंकने ।
ममतामय स्नेह
धनुषाकार वर्ण...
वर्ण पिरामिड ...
शाश्वत नश्वर
प्रेम का स्पर...
क्षणिका
कटीं हुई पतंग
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