गुरुकृपा भजन
गुरुकृपा भजन
गुरुवर हो मेरे गुरुवर
गुरुवर हो मेरे गुरुवर
तेरे द्वार आता रहूँ तेरे चरणों मे
मस्तक झुकाता रहू झुकाता रहू
दे दो वरदान गुरुवर ये मुझको
जिऊँ जब तक भुलाऊँ ना तुझको
नाम जपती रहूँ ध्यान धरती रहूँ
गीता तेरे ही तुमको सुनाती रहूँ
गुरूवर हो.....
हो तुम्ही मेरे मन मे सगाये
क्यो गुरुजी मुझे तुम भुलाये
तू सहारा मेरा तू किनारा मेरा
पास तुमको सदा ही मैं पाती रहूँ पाती रहूँ
गुरूवर हो....
क्यो अलौकिक छवि है तुम्हारी
सारे भक्तो को लगती है प्यारी
तेरी गोदना महान क्या अनोखी शान
उस छवी पे तनमन लुटाती रहूँ
गुरूवर हो......
