गुरु भजन
गुरु भजन
आनंद अपार मेरे सतगुरु के दरबार मे
आनंद अपार मेरे सतगुरु के दरबार मे
सबको मन की शांती मिले मेरे सतगुरु के दरबार मे....
मोह मिटाते भेद छुडाते
काम क्रोध मंद लोभ भगाते
राग द्वेवेश की बुझती अग्नी
मेरे सदगुरू के दरबार मे......
आनंद अपार मेरे सदगुरू के दरबार मे....
गुरू हे ज्योती बाकी सभा पुजारी
देते हे शांती खुशिया अपार
मंगलमय सब होते हे मेरे सदगुरू के दरबार मे
आनंद अपार मेरे सदगुरू के दरबार मे....
जब से इनका दर्शन पाया
प्राणो मे नवजीवन आया
सब भक्ती का दर्शन
सदगुरू के दरबार मे आनंद अपार मेरे सदगुरू के दरबार मे....
राग ताप से हमे बचाते
आत्मबल का योग सुखात
भक्ती मुक्ती शक्ती मिले मेरे सदगुरू के दरबार मे
आनंद अपार मेरे सदगुरू के दरबार मे......
