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Renu Verma

Others

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Renu Verma

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गुफ़्तगू-ए-दिल

गुफ़्तगू-ए-दिल

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तू मेरे दिल की गुफ्तगू हो जा
और सांसों की आरजू हो जा

दुश्मने जां की आज आमद है
ऐ मेरे दिल तू सुर्ख रू हो जा

जिस तरफ जाऊँ पाऊँ बस तुझको
एक खुशबू सा चार सू हो जा

खूँ मे भर दे ज़रा रवानी सी
पाक ज़ज्बे का वो लहू हो जा

कर ना पाएंगे वो जुदा खुद से
अक्स रेणू तू हू-ब-हू हो जा


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