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बंदगी से तुम

बंदगी से तुम

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प्यार देखो हंसी में आया है
फिर मेरी जिंदगी में आया है

शाम ढलते ही सब हुए रुख़सत
इक दिया तिरग़ी में आया है

अब तो ये सर कहीं नहीं झुकता
जब से तू बन्दगी में आया है

इश्क ने ग़ुल खिलाए हैं ऐसे
रंग भी शायरी में आया है

प्यार को क्यों बुरा कहे रेणू
जज्बा ये तो सभी में आया है


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