गुड्डी बाल (फेनी वाला)
गुड्डी बाल (फेनी वाला)
कुन्दन लाया , गुडडी बाल ।
खालो बेटा , मुँह करो लाल ।।
चश्मा पहन के , दिखोगे लाट ।
होगें बेटा तुम्हारे ठाठ ।।
एक कुन्दन नाम का आदमी था । वह प्रतिदिन बच्चों का सामान फेरी लगाकर बेंचा करता था। उसके मुँह पर दो डायलाग हमेशा ही रहते थे ।वह गली - मोहल्लों व चौराहों में जाकर तेज - तेज आवाज में इन उपरोक्त दो डायलागों को बोलकर बच्चों को आकर्षित करता था। बच्चे भी उसके डायलागों से बहुत प्रभावित होते थे व उससे गुड्डी के बाल ( मीठी शक्कर की लच्छी ) व चश्मे खरीदते थे वह अपने डायलागों को हावभाव के साथ बोलता जिससे बच्चे बहुत ही प्रभावित होते थे । बच्चे अपने कुन्दन अंकल से लच्छी खरीदकर खाते व चश्मा पहनकर खुश होते थे बच्चे को इन्तजार रहता था। कुन्दन बच्चों से इतना घुल - मिल गया था कि एक दिन भी कुन्दन फेरी लगाने न आये तो बच्चे उदास हो जाते थे व आपस में कुन्दन की ही चर्चा किया करते थे । एक दिन कुंदन अंकल बीमार पड़ गए वह कुछ दिनों के लिए फेरी लगाने नहीं आए तो सारे बच्चे मिलकर भगवान से कुंदन अंकल के ठीक होने की प्रार्थना करने लगे जल्दी से कुंदन अंकल ठीक हो गये व बच्चों को गुड्डी के बालों वाला डायलॉग बोलकर खुश करने लगे ।
इस कहानी से हमें निम्न शिक्षायें मिलती हैं
( 1 ) अपने अतिरिक्त हुनर से धंधे में चार चांद लग जाते हैं ।
( 2 ) मुनाफा के साथ - साथ ग्राहक को खुश करना भी जरूरी है ।
