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Rajkumar Kumbhaj

Others

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Rajkumar Kumbhaj

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गुबरैली ज़ुबान

गुबरैली ज़ुबान

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सिलता कैसे दुःख अपने

सुई-धागा तो वही शख्स ले भागा था

जिसके हाथों में चाबुक जैसा कुछ था

और जिसने मेरी आँखों में रोप दी थी

अपनी गुबरैली ज़ुबान भी ?


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