गौरैया !
गौरैया !
मेरी चिड़िया, तेरी चिड़िया, घर-आंगन की देखो चिड़िया।
जब ये नील गगन मे उड़ती है आसमान की रानी चिड़िया
।। खेत -खलिहान में बड़े मजे से, दिनभर दाना चुगती चिड़िया।
तिनका-तिनका जोड़-जोड़कर, सुन्दर नीड़ बनाती चिड़िया।
जाड़ा, गर्मी हो या बारिश, नहीं किसी से डरती चिड़िया।
अपने बल से जीवन जीती, कभी नहीं ये थकती चिड़िया।।
सुबह- सुबह घर की मुंडेर पर, चूँ- चूँ- चूँ -चूँ करती चिड़िया।
विलुप्त हो रही जाति इसकी,आज मेरी खतरे में चिड़िया।।
घर की होती जान गौरैया,दुआ भी देती हमारी चिड़िया।
काल के गाल में चली न जाय,आओ मिलके बचाएँ चिड़िया।।